ମଦ୍ରାସା
उत्तरप्रदेश में मदरसा शिक्षकों को नहीं मिलेगा मानदेय- योगी सरकार किया आदेश जारी
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अपने सख्त और स्पष्ट फैसलों को लेकर जानी जाती है. योगी सरकार फैसले लेने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाती है. प्रदेश सरकार ने अब एक और बड़ा फैसला लिया है. योगी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब उत्तर प्रदेश के मदरसा टीचरों को अतिरिक्त मानदेय नहीं दिया जाएगा. शासन के इस फैसले से बड़ी तादाद में शिक्षक प्रभावित होंगे. फिलहाल यह तय कर दिया गया है कि मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त मानदेय का भुगतान नहीं किया जाएगा.
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. इसके मुताबिक, अब प्रदेश के मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त मानदेय नहीं दिया जाएगा. मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत उत्तर प्रदेश के मदरसों में हिन्दी, अंग्रेजी, गणित और विज्ञान विषयों के लिए रखे गए शिक्षकों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मानदेय का भुगतान किया जाता था. ताजा फैसले के बाद अब अतिरिक्त मानदेय का भुगतान नहीं किया जाएगा.
अल्पसंख्यक विभाग ने जारी किया आदेश
मदरसा में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त मानदेय को लेकर शासन स्तर से निर्देश जारी किया गया. इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे. रीभा ने इसकी जानकारी सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को भेज दी है, ताकि इसपर ससमय अमल किया जा सके. गौरतलब है कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने मदरसा शिक्षकों के मानदेय को जेकर उच्चस्तरीय बैठक कर मामले की समीक्षा करने की बात कही थी. दूसरी तरफ, मानदेय को जलेकर आधुनिक विषयों के शिक्षक लगातार आंदोलनरत हैं.
25 हजार शिक्षकों के प्रभावित होने की संभावना
बता दें कि केंद्र के बाद अब योगी सरकार भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना में शिक्षकों को मानदेय न देने का फैसला किया है. मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब 25 हजार शिक्षक रखे गए थे. प्रदेश सरकार ने बजट में अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था को समाप्त करते हुए कोई भी वित्तीय स्वीकृति इस मद में नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं.
https://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/lucknow-yogi-adityanath-government-big-decision-on-madrasa-teachers-honorarium-payment-stopped-massive-loss-for-beneficiary-7974549.html
मदरसों की जांच में 150 करोड की विदेशी फंडिंग का खुलासा
उत्तरप्रदेश में मदरसों से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल, उत्तरप्रदेश में 80 ऐसे मदरसों की पहचान की गई है, जिन्हें पिछले 2 साल में करीब 100 करोड़ की फंडिंग मिली है। जांच में सामने आया है कि, ये सारा पैसा विदेश से मदरसों को भेजा गया। इस पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) पैनी नजर बनाए हुए हैं और इस बात की जांच कर रही है कि ये पैसा किसने भेजा, कहां से आया और किस-किस काम में खर्च हुआ। इससे जुड़ी हर एक बात का पता एसआईटी की टीम लगा रही है। एसआईटी की टीम ने जब मदरसों के फाइनेंशियल सोर्स की जांच की तब ये बड़े खुलासे हुए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, एसआईटी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मदरसों को मिले इन पैसों को किस काम में खर्च किया गया और क्या इसमें कोई गड़बड़ी है? बता दें कि उत्तरप्रदेश में लगभग 24,000 मदरसे हैं, जिनमें से 16,500 से ज्यादा उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की ओर से मान्यता प्राप्त हैं।
विदेशी फंडिंग के पीछे का सच क्या ?
एसआईटी को लीड कर रहे एटीएस के एडीजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि हम देखेंगे कि विदेशी फंडिंग के जरिए मिले पैसे को कैसे खर्च किया गया। हमारा काम यह देखना है कि क्या पैसों का उपयोग मदरसों को चलाने के लिए किया जा रहा है या किसी अन्य गतिविधि के लिए भी ये पैसा खर्च हो रहा है। जांच पूरी करने के लिए अभी तक कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक, एसआईटी पहले मदरसा बोर्ड से रजिस्टर्ड मदरसों का डेटा मांग चुकी है।
नेपाल सीमा पर तेजी से बढ़े मदरसे
लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर और बहराइच के अलावा नेपाल सीमा से सटे कई अन्य इलाकों में 1,000 से ज्यादा मदरसे चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इन इलाकों में पिछले कुछ साल में मदरसों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा, इन मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने की भी जानकारी मिली थी, जिसके बाद एसआईटी का गठन किया गया था। अल्पसंख्यक विभाग की जांच में ये भी पता चला है कि कई मदरसों को विदेशी फंडिंग मिल रही थी।
अवैध घुसपैठ से क्या है संबंध ?
हाल ही में, एटीएस ने तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार था जो बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्या की अवैध घुसपैठ कराने वाले गिरोह में शामिल थे। फिर जांच में पता चला कि दिल्ली में एक एनजीओ है। जिसके जरिए तीन साल में करीब 20 करोड रुपये का विदेशी फंडिंग से मिले थे। इस पैसे का उपयोग अवैध घुसपैठ कराने के लिए किया जा रहा था।
स्रोत : जी न्यूज
7 ଫେବୃଆରୀ 2022- ଧରିତ୍ରୀ
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